अंबेडकर नगर जिले का नया जिला अध्यक्ष कौन ?
*लखनऊ/अंबेडकर नगर*
*कौन होगा बीजेपी का नया जिला अध्यक्ष?*
जी हा कौन होगा बीजेपी का नया जिला अध्यक्ष यह चर्चा जोरों पर है ,लेकिन सवाल यह उठता है कि कौन बनेगा नया जिला अध्यक्ष ।
अगर ब्राह्मण जिला अध्यक्ष की बात करे तो पहला नाम मौजूदा जिला अध्यक्ष *त्रयंबक तिवारी* का चर्चा में है दूसरा नाम *डॉक्टर मिथलेश त्रिपाठी* का तीसरा नाम *दिनेश पांडेय* और चौथा नाम *मनोज मिश्र* का चर्चा में बना हुआ है । आइए आपको इन चारों का विश्लेषण करके बताते है कि क्या है इन चारों का कार्यकाल *त्रयंबक तिवारी* मध्य कार्यकाल में आए और इनके आते ही बीजेपी दफ्तर से लेकर बूथ तक सभी बीजेपी नेता सदमे में आ गए त्रयंबक तिवारी शिक्षक की भूमिका में आए तो निचले पदाधिकारियों को छात्र बनना पसन्द नहीं आया ,फिर क्या शुरू हो गई नाराजगी । कोई करीब आया तो कोई कोई काफी दूर भाग गया । त्रयंबक तिवारी की किस्मत अच्छी रही कि 2024 का कटहरी उपचुनाव बीजेपी 34 साल बाद इनके कार्यकाल में जीत गई और बाकी की कमियां दब गई । त्रयंबक तिवारी को अगर जिला अध्यक्ष बनाया गया तो शायद संगठन और बेहतर हो सकता है ऐसा लोगो का मानना है । इनको मध्य कार्यकाल में आने के बाद संगठन का विस्तार या नया संगठन बनाने का मौका नहीं मिला और पसंदीदा पदाधिकारी भी नहीं मिले इसी वजह से इनके खिलाफ राजनीति पीठ पीछे वाली सामने वाली सब हुई । अब शिक्षक क्या करता सबको सुधारने में ही अपना समय निकाल दिया । अब अगर दुबारा यह जिला अध्यक्ष बनते है तो नाराजगी भले ही हो छात्रों में लेकिन क्लास जरूर बेहतर बन सकता है । इनके विरोधी कोई कसर छोड़ भी नहीं रहे है ।
अब दूसरे पूर्व जिला अध्यक्ष *मिथलेश त्रिपाठी* की बात करे तो स्वभाव से सौम्य सबके प्रिय लोगों की मदद करने की चाहत रखने वाले मिथलेश त्रिपाठी का भी नाम चर्चा में बना हुआ है इनके साथ भूतपूर्व जिला अध्यक्ष के साथ काफी अच्छी दोस्ती थी लेकिन जब यह जिला अध्यक्ष हुए तो दोस्ती में थोड़ी दरार भी आई ।भूतपूर्व जिला अध्यक्ष को लगा कि इन्हीं की वजह से मेरा पद चला गया । लेकिन मिथलेश त्रिपाठी के कार्यकाल की खास बात यह रही कि कई चुनाव हुए उसमें कोई सफलता बीजेपी के खाते में नहीं गई । जबकि व्यक्तिगत रूप से मिथलेश त्रिपाठी का अपना एक अलग वजूद है अधिकारियों से लेकर बड़े नेताओं में अपनी एक अलग छवि है । जनता के काम को लेकर भी फ्रंट फूट पर रहते है । अब इनके दुबारा जिला अध्यक्ष बनने की चर्चा जोरों पर चल रही है ।
तीसरा नाम फायर ब्रांड *दिनेश पांडेय* का है जो आलापुर से है जाने माने तेजतर्रार युवा नेताओं में इनका अपना एक अलग ही महत्व है । इनको जनता के लिए अधिकारियों से भिड़ने के लिए जाना जाता है जनता के लिए यह हमेशा खड़े नजर आते है । बिजली की समस्या को लेकर XEN से ही उसी के कार्यालय में भीड़ गए और गांव में उजाला करवाने के बाद ही दम लिए । इनके गुरु हरिशंकर तिवारी रहे ,रमापति राम त्रिपाठी के काफी चहेते भी है लेकिन इनकी राह में रोड़े बहुत है इन्हीं की पार्टी के लोग ही इनको हजम नहीं कर पाते है । विपक्ष की तो छोड़ ही दीजिए । कई बार से प्रयासरत है लेकिन सफलता नहीं मिली इस बार उम्मीद सातवें आसमान पर है । अब रिजल्ट क्या होगा यह नेतृत्व या भगवान जाने । लेकिन इनके जिला अध्यक्ष को लेकर कार्यकर्ताओं और इनके चहेतो में उत्साह है ।
चौथा नाम *मनोज मिश्र* पेशे से विद्या के मंदिर का जिम्मेदारी है। राजनीति में गंभीर और अपने व्यवहार को लेकर बहुत ही सौम्य है इनके नाम की चर्चा जोरों पर है सार्थमको का उत्साह भी चरम पर है । मनोज मिश्र पुराने भाजपाई भी है न काहू से दोस्ती न काहू से बैर इस भावना के साथ बीजेपी में चल रहे है क्योंकि जैसे यह है वैसी आज बीजेपी नहीं रह गई ।
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अब क्षत्रीय जिला अध्यक्ष के नाम की बात करे तो इन लोगों के नाम की चर्चा जोरों पर है पहला नाम *डॉक्टर रजनीश सिंह* दूसरा *राणा रणधीर सिंह* *तीसरा विमलेंद्र प्रताप सिंह मोनू*
अब अगर पहले नाम *डॉक्टर रजनीश सिंह* की करी जाए तो पेशे से डॉक्टर, बाबा पुराने भाजपाई थे । पारिवारिकारिक पृष्ठ भूमि किसी से छुपी नहीं है। रजनीश सिंह का संघ और पार्टी के एक बड़े हिस्से में अपनी अलग पकड़ मानी जाती है रजनीश सिंह को जब जलालपुर विधानसभा का टिकट नहीं मिला तो उनका रुख काफी नाराजगी भरा था तब वह सिर्फ एक सदस्य की भूमिका में थे लेकिन जब उनकी नाराजगी का असर उनके चहेते नेताओं को दिखा तो उस समय संगठन के सर्वे सर्वा सुनील बंसल के आशीर्वाद से जिला उपाध्यक्ष का पद लेकर (सूत्र)जिले में हंसते हुए आए थे । रजनीश सिंह की भी जिले के संगठन काफी लोगों से कभी खुशी कभी ग़म वाली स्थिति बनी रहती है। लेकिन मौजूदा जिला अध्यक्ष त्रयंबक तिवारी के कार्यकाल में इनका दबदबा बना रहा और त्रयंबक तिवारी ने भी इनको उपचुनाव में बड़ी जिम्मेदारियों के साथ लैस कर दिया था । अब इनके चहेतो में भी जोश चरम पर है कि डॉक्टर साहब जिला अध्यक्ष बने और संगठन के अंदर की बीमारियों का इलाज खुल कर करे । वहीं सूत्रों से यह पता चल रहा है कि 2027 के विधानसभा चुनाव में जलालपुर से रजनीश सिंह दावा ठोक सकते है लेकिन इनकी राह का रोड़ा इन्हीं की पार्टी के विमलेंद्र प्रताप सिंह और अंशुमान सिंह भी बन सकते है क्योंकि यह दोनों लोग जलालपुर 2027 की तैयारियों में जुटे हुए है । वहीं अगर इन दोनों से आगे निकले तो राकेश पांडेय मौजूदा सपा विधायक और रितेश पांडेय पूर्व सांसद बीएसपी से इनका सामना होना तय माना जा रहा है ।
दूसरा नाम *राणा रणधीर सिंह* जिनके नाम को बताना मतलब सूर्य को दिया दिखाना । शिक्षा जगत में अपना दबदबा कायम रखने वाले राणा रणधीर सिंह के नाम की चर्चा जोरों पर है राणा रणधीर सिंह राजनीति में काफी सक्रिय रहते है अभी हाल ही के ऊपचुनाव में इनका काफी अहम योगदान रहा है । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चुनावी जनसभा से लेकर कई अन्य कार्यक्रम इन्हीं के कॉलेज में सम्पन्न हुए थे । इनके नाम की चर्चा भी जोरो पर है ।
तीसरा नाम *विमलेंद्र प्रताप सिंह मोनू* जिले के ऐसे नेता जिनका अपना राजनीति और व्यवसाय में एक अलग स्थान है इस समय संगठन में इनकी मौजूदा जिला अध्यक्ष से उतनी नहीं जम रही जितना पूर्व जिला अध्यक्ष से जमती थी। इसके पीछे कारण यह माना जा रहा है कि डॉक्टर रजनीश सिंह के मौजूदा जिला अध्यक्ष के करीब रहने की वजह से इन्होंने दूरी बना ली क्योंकि राजनीति में रजनीश और विमलेन्द्र प्रताप की एक रस्साकसी मानी जाती है । लेकिन इनके व्यवसायिक कार्यालय पर भाजपाइयों का जमावड़ा देखने को मिलता है । इनके राजनीतिक प्रेमियों को भी उम्मीद है कि भईया जिला अध्यक्ष बन जाएंगे। उम्मीद होना भी चाहिए क्योंकि उम्मीद पर ही सब कुछ टिका हुआ है ।
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अब ओबीसी जिला अध्यक्ष की बात करी जाए तो *कपिल देव वर्मा* का नाम चर्चा में है
भूत पूर्व जिला अध्यक्ष, पूर्व विधायक प्रत्याशी,जिला पंचायत सदस्य के प्रत्याशी होने का सौभाग्य इन्हें मिला सबसे कम उम्र में जिस विधायकी के टिकट के लिए लोग पूरी उम्र खपा देते है उस टिकट को जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हारने के बाद *कपिल देव वर्मा* ले आए लेकिन पार्टी की आंतरिक राजनीति और भीतरघात ने चुनाव में इनको करारी शिकस्त दिलाई लेकिन कपिल देव ने हार नहीं माना । कपिल देव की जिला अध्यक्छी भी दमदार रही । जिलाधिकारी से लेकर अन्य विभाग के अधिकारी इनके नाम से कांप जाते थे । आलापुर के XEN को उनकी जनता की बेरुखी की बात को लेकर जमकर पिटाई का मामला भी चर्चा में रहा । जिलाधिकारी राकेश मिश्र से भी कपिल देव भीड़ गए और दोनों के बीच 36 का आंकड़ा बना रहा । इन सबके पीछे कोई और कारण नहीं था सिर्फ एक तेज नेता का गुण था जो कपिल देव के अन्दर था और है लेकिन बीजेपी में ज्यादा तेजी भी नुकसानदायक है और कपिल अपनों की राजनीति का शिकार हो गए कपिल देव वर्मा और जिला अध्यक्ष का पद चला गया शायद वो वाकिया किसी को नहीं भुला होगा जो पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष स्व शेष नारायण मिश्र के यहां अयोध्या में हुआ था । तब से कपिल देव वर्मा सजग और सतर्क हो गए अपने पन का राग अलापने वाले लोगों से दूरी बना ली कपिल देव ने । कपिल देव स्वतंत्र देव सिंह के काफी करीबी माने जाते है । और जिला अध्यक्ष के नाम की चर्चा तो चल ही रही है लेकिन अब यह भी सूत्रों के हवाले से बयार यह बह रही है कि 2027 का विधानसभा चुनाव अकबरपुर से लड़ सकते है । अगर कपिल देव वर्मा चुनाव लड़ते है तो इनका सामना समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राम अचल राजभर के सुपुत्र संजय राजभर से हो सकता है (सूत्र) । अब कपिलदेव वर्मा के खेमे में खुशी का माहौल तो है लेकिन चुनाव अधिकारी क्या कर पाएंगे इस स्थिति में यह बड़ा सवाल है । चुनाव अधिकारी भी बगल के जिले आजमगढ़ के है उनके लिए भी मंडल अध्यक्षों की सूची जारी करने में कितना समय लग रहा है यह भगवान जाने जबकि अन्य जिले की सूचिया आ चुकी है ।
अब यह बात तो रही जिला अध्यक्ष को लेकर लेकिन क्या होगा बाकियों का जो इन नेताओं के जिला अध्यक्ष बनने का रास्ता देख रहे हैं।
पंकज मिश्र की रिपोर्ट 🖊️