कर्पुरी ठाकुर को भारत रत्न देने का फैसला सामाजिक न्याय के राजनीतिक पुरोधा का ऐतिहासिक सम्मान-अपना दल
माननीय कर्पुरी ठाकुर को भारत रत्न देने का फैसला सामाजिक न्याय के राजनीतिक पुरोधा का ऐतिहासिक सम्मान है। यह सामाजिक न्याय के वास्तविक सिपाही का सम्मान है। सामाजिक न्याय के ऐसे सिपाही जिन्होंने वंचितों के अधिकार के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया। जिन दलों ने उनके नाम पर राजनीति की, जिन्हें अपना राजनीतिक गुरु बताया, उन्होंने सत्ता में आने के बाद उन्हें भुला दिया। देश को याद रखना चाहिए कि बिहार में मुख्यमंत्री रहते माननीय कर्पुरी ठाकुर ने पिछड़ा वर्ग को 26 फीसदी आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था का वास्तविक अर्थों में सामाजिक न्याय का बिगुल फूंका। माननीय कर्पूरी ठाकुर ने सामाजिक न्याय की अवधारणा के तहत महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण की व्यवस्था का नया मिसाल कायम किया। माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी का यह फैसला सामाजिक न्याय के वास्तविक जनक और सिपाही का उचित सम्मान है। मैं और अपना दल के लाखों कार्यकर्ता इस फैसले से हर्षित और गर्वित होने के साथ प्रधानमंत्रीजी के आभारी हैं। इस फैसले के बाद सामाजिक न्याय के नाम पर राजनीति करने वाले दलों को सोचना चाहिए कि क्या वे कर्पुरी ठाकुर, लोहिया समेत वंचित वर्गों की आवाज के वास्तविक उत्तराधिकारी हैं? अगर हैं तो इससे पहले इन्हें कर्पुरी ठाकुर की याद क्यों नहीं आई?