अंबेडकर नगर में शीतलहर को लेकर जिलाधिकारी के निर्देश के बाद अपर जिलाधिकारी ने जारी की एडवाइजरी
अंबेडकर नगर
जिलाधिकारी अविनाश सिंह के निर्देश के क्रम में अपर जिलाधिकारी (वि०/रा०) ने अवगत कराया की मौसम विभाग द्वारा आगामी दिनों में कम तापमान होने का पूर्वानुमान जारी किये गये है। इसके दृष्टिगत जन सामान्य को ठंड एवं शीतलहर से बचाव हेतु *”क्या करें, क्या न करें* आदि की विस्तृत एडवाइजरी जारी की, जिसका विवरण निम्नवत् हैः-
_*शीतलहरी से बचाव हेतु एडवाइजरी*_
*शीतलहर से पहले*
▪️रेडियो सुनें, टीवी देखें, स्थानीय मौसम पूर्वानुमान के लिए समाचार पत्र पढ़ें ताकि यह पता चल सके कि क्या शीतलहर होने वाली है।
▪️पर्याप्त सर्दियों के कपड़े पहनें। कपड़ो की कई परतें अधिक सहायक होती है।
▪️आपातकालीन आपूर्ति तैयार रखें।
▪️शीतलहर के दौरान फ्लू, नाक से खून जैसी विभिन्न बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है, जो आमतौर पर ठंड के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण हो जाती हैं या बढ़ जाती हैं। इस तरह के लक्षणों के लिए डॉक्टर से सलाह लें।
*शीतलहर के दौरान*
▪️मौसम की जानकारी और आपातकालीन प्रक्रिया की जानकारी का बारीकी से पालन करें और सलाह के अनुसार कार्य करें।
▪️जितना हो सके घर के अंदर रहें और ठंडी हवा के संपर्क में आने से बचने के लिए कम से कम यात्रा करें।
▪️भारी कपड़ों की एक परत के बजाय ढीले फिटिंग, हल्के, विंडप्रूफ गर्म ऊनी कपड़ों की कई परतें पहनें। टाइट कपड़े ब्लड सर्कुलेशन को कम करते हैं।
▪️अपने आप को सूखा रखें, अपने सिर, गर्दन, हाथों और पैर की उंगलियों को पर्याप्त रूप से कवर करें क्योंकि शरीर के इन अंगों के माध्यम से शरीर को ठंडक लगने का खतरा अधिक रहता है।
▪️दस्ताने पहनें क्योंकि दस्ताने ठंडक से गर्मी और इन्सुलेशन प्रदान करते है क्योकि उंगलियां अपनी गर्मी साझा करती है और ठंड के लिए कम सतह क्षेत्र को उजागर करती है।
▪️ठंडक से बचने के लिए टोपी और मफलर का प्रयोग करें। शरीर के तापमान का संतुलन बनाए रखने के लिए पौष्टिक आहार लें।
▪️पर्याप्त इम्यूनिटी बनाए रखने के लिए विटामिन सी से भरपूर फल और सब्जियां खाएं।
▪️नियमित रूप से गर्म तरल पदार्थ पिएं, क्योंकि गर्म पेय पदार्थ ठंडक से लड़ने के लिए शरीर को गर्मी प्रदान करता है।
▪️बुजुर्ग लोगों और बच्चों की देखभाल करें और अकेले रहने वाले पड़ोसियों का ख्याल रखें।
▪️गर्मी उत्पन्न करने के लिये बंद कमरे के अन्दर कोयला /अंगीठी न जलायें क्योंकि इससे कार्बन मोनोऑक्साइड गैस उत्पन्न हो सकती है जो बहुत जहरीली होती है और कमरे में मौजूद लोगों की जान जा सकती है।
_*हाइपोथर्मिया के मामले में*_
*क्या करें*
▪️व्यक्ति को गर्म स्थान पर ले जाएं और उसके गीले कपड़े बदले।
▪️व्यक्ति के शरीर को त्वचा से त्वचा के संपर्क में लाकर गर्म रखें, तौलिये या चादर की परतों से सुखाये।
▪️शरीर के तापमान को बढ़ाने में मदद करने के लिए गर्म पेय दें। शराब न दें।
▪️स्थिति बिगड़ने पर चिकित्सीय सहायता लें।
*क्या न करें*
▪️लंबे समय तक ठंड के संपर्क में रहने से बचें।
▪️शराब न पीएं क्योंकि यह शरीर के तापमान को कम करती है, और रक्त वाहिकाओं को संकुचित करती है
▪️ठंडे से प्रभावित अंग की मालिश न करें। इससे अधिक नुकसान हो सकता है।
▪️कपकंपी को नजरअंदाज न करें। यह पहला संकेत है कि शरीर गर्मी खो रहा है-घर के अंदर शरण लें।
▪️प्रभावित व्यक्ति को तब तक कोई तरल पदार्थ न दे जब तक कि पूरी तरह से सचेत न हो जाए।
_*कृषि*_
*क्या करें और क्या न करें*
▪️शीत लहर और पाला फसलों को नुकसान पहुंचाते है, जिसमें उनमें काला रतुआ, सफेद रतुआ, पछेती-तुषार आदि रोग उत्पन्न होते हैं। शीत लहर के कारण अंकुरण, वृद्धि, पुष्यन, उपज और भंडारण अवधि में विभिन्न प्रकार के शारीरिक व्यवधान का कारण बनती है।
*क्या करें*
▪️ठंड से होने वाली बीमारी के लिए उपचारात्मक उपाय अपनायें जैसे बेहतर जड़ विकास को सक्रिय करने के लिए बोर्डो मिश्रण या कॉपर ऑक्सी क्लोराइड, फास्फोरस (P) और पोटेशियम (K) का छिडकाव करें।
▪️शीत लहर के दौरान जहां भी संभव हो हल्की और बार-बार सतही सिंचाई करें।
▪️यदि संभव हो तो स्प्रिंकलर सिंचाई का प्रयोग करें।
▪️बागवानी और बगीचों में इंटरक्रॉपिंग (अन्तर फसल) खेती का उपयोग करें।
▪️टमाटर, बैंगन जैसी सब्जियों की मिश्रित फसल, के साथ सरसों/अरहर जैसी लंबी फसलें ठंडी हवाओं (ठंड के खिलाफ आश्रय) के खिलाफ आवश्यक आश्रय प्रदान करेगी।
▪️सर्दियों के दौरान युवा फलदार पौधों को प्लास्टिक द्वारा ढककर अथवा पुआल या सरकंडा घास आदि के छप्पर (झुग्गिया) बनाकर विकिरण अवशोषण (Absorption) को बढाया जा सकता है।
▪️जैविक मल्चिंग (तापीय इन्सुलेशन के लिए)।
▪️विंड ब्रेक/शेल्टर बेल्ट लगाना (हवा की गति को कम करने के लिए)।
*_पशुपालन/पशुधन_*
*करें और क्या न करें*
▪️शीत लहर के दौरान, जानवरों और पशुधन को जीविका के लिए अधिक भोजन की आवश्यकता होती है क्योंकि ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ जाती है। भैसों / मवेशियों के लिए इस मौसम के दौरान जानवरों में तापमान में अत्यधिक भिन्नता पशुओं की प्रजनन प्रभावित कर सकती है।
*क्या करें*
▪️ठंडी हवाओं के सीधे संपर्क से बचने के लिए रात के दौरान सभी तरफ से जानवरों के आवास को ढक दें।
▪️पशुओं और मुर्गियों को ठंड से बचाने और गर्म कपड़े से ढकने की व्यवस्था करें।
▪️पशुधन आहार पद्धति और आहार पूरकों में सुधार करें।
▪️उच्च गुणवत्ता वाले चारे या चरागाहों का उपयोग।
▪️वसायुक्त खुराक प्रदान करें–आहार सेवन, खिलाने और चबाने के व्यवहार पर अनुपात केंद्रित करें।
▪️सर्दियों के दौरान पशुओं के नीचे सूखा भूसा जैसी कुछ बिछावान सामग्री डालें।
▪️पशुओं को ठंड के समय में गुड़ व कैल्शियम टॉनिक पिलाएं पशुओं को ठंड के मौसम में जूट की बोरी अथवा घर में पड़ा पुराना कंबल उढाएं ।
▪️प्रेगनेंट पशुओं को ठंड लगने की ज्यादा संभावना होती है उनके पास अलाव जलाकर रखें लेकिन यह भी ध्यान में रखें कि अलाव से पशुओं से कोई नुकसान ना पहुंचे।
*क्या न करें*
▪️शीतलहर के दौरान पशुओं को खुले स्थानों में न बांधे व घूमने न दें।
▪️शीत लहर के दौरान पशुमेले से बचें।
▪️जानवरों को ठंडा चारा और ठंडा पानी देने से बचें।
▪️ पशु आश्रय में नमी और धुएं से बचें।
▪️मृत पशुओं के शवों को पशुओं के नियमित चरने वाले मार्गों पर नहीं फेंका जाना चाहिए।
*यातायात हेतु निर्देश*
▪️गन्ना तथा भूसा ढोने वाले गाडियों जैसे-ट्रॉली, ट्रक, बैलगाड़ी पर क्षमता से अधिक गन्ना न लादें।
▪️सर्दियों में गाड़ियों में फॉग लाईट का इस्तेमाल करें।
▪️गाडियों आगे व पीछे रेडियम पट्टी का प्रयोग करें।
▪️भार ढोने वाले वाहन के चालक इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पीछे से आ रही एम्बुलेंस को रास्ता दें।
▪️वाहन में हमेशा प्राथमिक उपचार किट अवश्य रखें।
▪️शॉल व कम्बल ओढ़कर वाहन न चलायें।
▪️दोपहिया वाहन चालक शीतलहरी/ठंड में बहुत आवश्यक होने पर ही घर से वाहन लेकर बाहर निकलें, दोपहिया वाहन चालक शीतलहरी/ठंड में बाहर निकलते समय गर्म कपड़े, दस्ताने, चश्मा, हेलमेट पहन कर निकलें।
▪️दोपहिया वाहन चालक शीतलहरी में वाहन को धीमें चलायें इससे खुद के साथ-साथ दुसरों को भी सुरक्षित रख सकते है।
इसी के साथ ही जिलाधिकारी ने समस्त उप जिलाधिकारियों एवं अधिशासी अधिकारी नगर निकाय को जनपद के समस्त चिन्हित स्थानों पर नियमित अलाव की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने तथा समस्त रैन बसेरों को बेहतर ढंग से क्रियाशील रखने, रैन बसेरों में जरूरतमंदों के ठहरने की समुचित व्यवस्था करने, जिसमें रजाई, गद्दा, कंबल, बेड, पेयजल, शौचालय, प्रकाश, साफ–सफाई आदि की उचित व्यवस्था सुनिश्चित रखने के निर्देश दिए।